मनोविज्ञान की अवधारणा, परिभाषाएं एवं प्रमुख संप्रदाय

Manovigyaan ki Avdharna

इस पोस्ट में हम विस्तारपूर्वक समझेंगे कि मनोविज्ञान क्या है ... इसको विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों तथा दर्शनिकों ने किस प्रकार परिभाषित किया है... और अंत में जानेंगे कि मनोविज्ञान के विभिन्न संप्रदाय कौन कौन से हैं। सामान्य और संक्षिप्त अर्थों में अगर हम कहें तो मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो किसी प्राणी  के मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है।

मनोविज्ञान की अवधारणा

अमरीकी विद्वान विलियम जेम्स (1842-1910) ने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र मुक्त कर एक स्वतंत्र विद्या का रूप दिया। इसलिए विलियम जेम्स को मनोविज्ञान का जनक माना जाता है। विलियम वुंट ने जर्मनी के लिपजिग नामक शहर में 1879ई. में प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की।

मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ

मनोविज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रुडोल्फ गोइकल ने 16वीं शताब्दी में किया था। 

मनोविज्ञान शब्द दो शब्दों 'मन' और 'विज्ञान' से मिलकर बना है अर्थात् वह विज्ञान जिसके द्वारा मन और विभिन्न पहलुओं एवं विकारों का अध्ययन किया जा सकें। अंग्रेजी में मनोविज्ञान(Psychology) के लिए Psychology दो ग्रीक शब्दों ‘Psyche’ और ‘Logos’ से मिलकर बना है | ‘Psyche’ का अर्थ है “आत्मा” और ‘Logos’ का अर्थ “अध्ययन” करना होता है , अर्थात शाब्दिक अर्थ के अनुसार मनोविज्ञान विषय में आत्मा का अध्ययन (Study of Soul) किया जाता है | 

मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन मनोविज्ञान की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुई। समय के साथ मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन होता गया जो निम्न प्रकार है-

आत्मा का विज्ञान 

16वीं शताब्दी में अरस्तू , प्लेटो, सुकरात, डेकार्ट एवं अरिस्टोटल आदि यूनानी दार्शनिकों द्वारा मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान कहा गया। परन्तु आत्मा क्या है ? इसका स्वरूप कैसा है भ? इसका अस्तित्व कैसा है। (अर्थात् आत्मा को देखा जा सकता है क्या?) आदि प्रश्नों के उत्तर देने में मनोविज्ञान की इस परिभाषा को असमर्थ पाया गया। अतः मनोविज्ञान के इस अर्थ को अस्वीकार्य कर दिया गया।

मन/मस्तिष्क का विज्ञान  

17वीं-18वीं शताब्दी के मनोविज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। मन मनुष्य की भावनात्मक ऊर्जा को संचालित करता है। परन्तु मन दिखता नहीं है। उसका कोई जैविक अस्तित्व नहीं है। इटली के प्रसिद्ध दार्शनिक पॉम्पोलॉजी, जानलाॅक, रूसो एवं ब्राकले ने इस मत की सराहना की लेकिन कोई भी विद्वान मन की प्रकृति एवं स्वरूप का निर्धारण करने में सफल नहीं हो सका। फलस्वरूप मनोविज्ञान के इस अर्थ को भी स्वीकार नहीं किया जा सका। 

चेतना का विज्ञान 

19वीं शताब्दी में विलियम जेम्स, विलियम वुंट, स्टैनले हॉल, वाईन्स टीचनर आदि दर्शनिको ने मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुंचने वाले आवेगों से उत्पन्न होती है। यह केवल चेतन मन का विश्लेषण है, जो कि काफी नहीं है क्योंकि चेतना के अंतर्गत चेतन मन के साथ अचेतन मन और अर्द्धचेतन मन भी होते है। अचेतन मन और अर्द्धचेतन मन का भी विश्लेषण इन विद्वानों ने नहीं किया। जिस कारण मनोविज्ञान की इस परिभाषा को भी भी मान्यता नहीं मिली। 

व्यवहार विज्ञान 

जे. बी. वाटसन के अनुसार," एक ऐसा मनोविज्ञान लिखना संभव है जिसको ' व्यवहार के विज्ञान के रूप में परिभाजित किया जा सके।" अंततः 20वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया। वाटसन के अलावा वुडवर्ड, थार्नडाइक, जेम्स ड्रेवर, मैक्डूगल और स्किनर आदि इस अर्थ के प्रबल समर्थक है तथा वर्तमान में मनोविज्ञान के इसी अर्थ को स्वीकार किया गया है। इस प्रकार हम कह सकते है कि मनोविज्ञान के अंतर्गत मानव मस्तिष्क एवं व्यवहार का अध्ययन वातावरण के परिपेक्ष्य में किया जाता है। मनोविज्ञान समस्त व्यवहारों का अध्ययन करता हैं।

मनोविज्ञान की परिभाषाएं

वाटसन के अनुसार, "मनोविज्ञान, मानव व्यवहार का निश्चित या शुद्ध विज्ञान है।"

मैक्डूगल के अनुसार, "मनोविज्ञान, आचरण एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है।"

वुडवर्थ के अनुसार, "मनोविज्ञान, वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहार का विज्ञान है।"

क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, "मनोविज्ञान मानव–व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।"

स्किनर के अनुसार, "मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।"

गैरिसन व अन्य के अनुसार, "मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है।"

कॉलसनिक के अनुसार, "मनोविज्ञान के सिद्धान्तों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।"

जे.एम. स्टीफन के अनुसार, "शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।"

पेस्टोलोजी के अनुसार, "शिक्षा मनुष्य की क्षमताओं का स्वाभाविक, प्रगतिशील तथा विरोधहीन विकास है।"

जॉन डीवी के अनुसार, "शिक्षा मनुष्य की क्षमताओं का विकास है, जिनकी सहायता से वह अपने वातावरण पर नियंत्रण करता है और अपनी संभावित उन्नति को प्राप्त करता है।"

Key Points :- 

  • मनोविज्ञान के जनक - विलियम जेम्स
  • शिक्षा मनोविज्ञान के जनक - थार्नडाइक
  • अधिगम मनोविज्ञान के जनक - एविंग हास
  • प्रयोगात्मक / आधुनिक मनोविज्ञान के जनक -विलियम वुंट
  • अमेरिकन मनोविज्ञान के जनक - विलियम जेम्स
  • किशोर मनोविज्ञान के जनक - स्टेनली हाॅल
  • व्यक्तित्व मनोविज्ञान के जनक - जीन पियाजे
  • मूल प्रवृत्ति के जनक - मैक्डूगल
  • मौलिक व्यवहारवादी के जनक - स्किनर
  • व्यक्तिगत मनोविज्ञान के जनक - अल्फ्रेड एडलर

मनोविज्ञान के सम्प्रदाय

आधुनिक मनोविज्ञान में मनोवैज्ञानिकों ने अपने अलग-अलग विचारों के आधार पर विभिन्न मनोविज्ञान के सम्प्रदाय को दिया। कुछ प्रमुख संप्रदाय निम्नलिखित हैं-

1. संरचनावाद सम्प्रदाय (Structuralitic School)

 प्रवर्तक- विलियम वुण्ट (जर्मन), ई.बी.टिचनर (इंग्लैंड)

इसके अनुसार मानसिक तत्वों का मनुष्य की चेतना में महत्वपूर्ण स्थान है अर्थात् मनुष्य के प्रत्येक अनुभव का आधार चेतना है। यह सम्प्रदाय वैज्ञानिक पद्धति के उपयोग पर बल देता है।

चेतना के तीन तत्व हैं - संवेदना/प्रत्यक्षीकरण , भाव, प्रतिमा

2. कार्यात्मवादी/प्रकार्यवाद सम्प्रदाय (Functionalistic School)  

प्रवर्तक- विलियम जेम्स, जॉन डिवी एवं एंजिल (अमेरिका)

यह सम्प्रदाय पाठ्यक्रम की विषय वस्तु की उपयोगिता पर बल देता है। बाल मनोविज्ञान, व्यक्तिक विभिन्नता बुद्धि परीक्षण आदि उपगमों को सर्वप्रथम प्रस्तुतकरने का श्रेय इस सम्प्रदाय को जाता है।

3. गेस्टाल्टवादी या समग्राकृति या अवयववाद सम्प्रदाय (Gestalt School) 

प्रवर्तक- मैक्स वर्दीमर, कोफ्का, एवं कोहलर (जर्मनी)

इस सम्प्रदाय के अनुसार कोई व्यक्ति किसी वस्तु को उसके समग्र रूप में देखता अथवा ग्रहण करता है। 'पूर्ण से अंश की और' शिक्षण पद्धति इसी सम्प्रदाय की देन है।

4. मनोविश्लेषणवादी सम्प्रदाय 

प्रवर्तक- सिगमण्ड फ्रॉयड (ऑस्ट्रिया)

इस सम्प्रदाय ने व्यवहार की संकल्पना में अचेतन एवं पूर्ण चेतन व्यवहार को सम्मिलित किया है। इस सम्प्रदाय में व्यवहार निर्धारण तथा व्यक्तित्व में तीन कारक को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इस सम्प्रदाय ने बाल केन्द्रित शिक्षा पर बल दिया है।

5. साहचर्यवादी सम्प्रदाय

प्रवर्तक- जॉन लॉक (इंग्लैण्ड)

इस विचारधारा में स्पंदन तथा स्मृतिज्ञात साहचर्य को महत्व दिया है।

6. प्रेरकीय(प्रयोजनवादी) सम्प्रदाय

प्रवर्तक- विलियम मैक्डूगल (इंग्लैण्ड)

आत्म सम्मान को विशेष महत्व देने वाले इस सम्प्रदाय के अनुसार सभी कार्यों के पीछे कोई न कोई उद्देश्य या प्रयोजन अवश्य होता है।

7. व्यवहारवादी सम्प्रदाय

प्रवर्तक- जॉन ब्राड्स वाटसन (अमेरिका)

ये विचारधारा रूसी मनोविज्ञानी ई.पावलाव के परीक्षणों के परिणामों पर आधारित है। इस विचारधारा के अनुसार मनोविज्ञान का उद्देश्य मानव व्यवहार की व्याख्या, नियंत्रण एवं उसके संबंध में भविष्यवाणी करना है। बाहरी व्यवहार ही मनोविज्ञान की अध्ययन वस्तु होनी चाहिए तथा उद्दीपक हमेशा बाहरी वातावरण में होता है।


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